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भारत मे कंप्युटर युग का प्रारंभ और विकास

भारत मे कंप्युटर युग का प्रारंभ और विकास

दुनिया  को पहला कंप्यूटर 1940 में मिला, परन्तु भारत में कंप्यूटर युग की शुरुआत सन 1952 में हुयी। भारत मे कंप्युटर युग की शुरुआत करने का श्रेय दो व्यक्तियों को जाता है –जिनमे से पहला नाम डॉक्टर होमी भाभा और दूसरा नाम प्रोफेसर पी0 सी0 महालनोबिस का है। दोनों ही ने अपने अथक प्रयासों से भारत को दुनिया के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लायक बनाया। एक ने भारत को पहला देश मे निर्मित ऐनलॉग कंप्युटर दिया तो दूसरे ने पूर्ण रूप से भारत मे निर्मित मैन्फ्रैम कंप्युटर का निर्माण कर सबको चौका दिया।

ऐनलॉग (Analog) कंप्युटर की स्थापना

प्रोफेसर पी0 सी0 महालनोबिस के नेत्रत्व मे समेन्द्र कुमार मित्रा और सौमयेन्द्र मोहन बोस के अथक प्रयासों के फलस्वरूप भारत को अपना पहला स्वदेशी ऐनलॉग कंप्युटर सन 1953 मे प्राप्त हुआ, जिसे इंडियन स्टटिस्टिकल इंस्टिट्यूट (ISI) मे स्थापित किया गया था ।

भारत मे प्रथम कंप्युटर का आगमन

भारत का प्रथम कंप्यूटर HEC-2M था। जिसे भारत ने सन 1956 को ₹ 10,00000/- में ख़रीदा था । इसे कलकत्ता के भारतीय सांख्यिकी संस्थान (ISI) Indian Statistical Institute  में स्थापित किया गया था। यह एक नंबर क्रंचिंग मशीन से ज्यादा कुछ नहीं था और आकार में बहुत बड़ा था। इसकी लंबाई 10 फीट, चौड़ाई 7 फीट और ऊंचाई 6 फीट थी।

मैन्फ्रैम कंप्युटर  (Mainframe Computer)/ भारत का प्रथम कंप्युटर 

वही दूरी ओर TIFR (Tata Institute of Fundamental Research) के द्वारा पूर्ण रूप से भारत मे विकसित मैन्फ्रैम कंप्युटर बनाया गया। इस कंप्युटर को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा वर्ष 1961 मे देश को समर्पित किया गया। उन्होंने इसे TIFRAC नाम दिया। TIFRAC के विकास ने भारत में एक कंप्यूटर उद्योग की स्थापना के लिए आवश्यक ढांचागत जरूरतों और कर्मियों की आवश्यकता को समझने में मदद की। 

रूस का URAL-1 Computer 

अपने यहाँ कंप्युटर को डिवेलप करने के साथ-साथ भारत ने वर्ष 1958 मे URAL-1 नामक कंप्युटर रूस से खरीदा ।

IBM-1401 कंप्युटर का उपयोग 

1961 मे पहले आईबीएम-1401 कंप्युटर को ESSO Standard Oil Co., Mumbai मे स्थापित किया गया।

पूर्णतः भारत मे निर्मित पहला कंप्युटर

1961 को TIFRAC(Tata Institute of Fundamental Research Automatic Calculator) को तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा देश को सौंपा गया।

कंप्युटर सोसाइटी ऑफ इंडिया का गठन

1965 मे Computer Society of India का गठन किया गया। कंप्यूटर सोसाइटी ऑफ इंडिया भारत में कंप्यूटर पेशेवरों का एक निकाय है। यह 6 मार्च 1965 को कुछ कंप्यूटर पेशेवरों द्वारा शुरू किया गया था और अब यह कंप्यूटर पेशेवरों का प्रतिनिधित्व करने वाला राष्ट्रीय निकाय बन गया है।

ISIJU-1 कंप्युटर  

ISI ने  वर्ष 19६६ मे  एक अन्य कंप्युटर का निर्माण किया, जिसका नाम ISIJU-1 रखा। यह कंप्युटर ट्रैन्ज़िस्टर बेस्ड कंप्युटर था, जिसे ISI (Indian Statistical Institute) और जदावपुर यूनिवर्सिटी ने मिलकर बनाया था। 

ECIL (Electrical Corporation of India Ltd.) की स्थापना 

1967 मे हैदराबाद मे ECIL (Electrical Corporation of India Ltd.) की स्थापना की गई । ईसीआईएल की स्‍थापना परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत 11 अप्रैल, 1967 को हुई। इसका मुख्‍य उद्देश्‍य व्‍यावसायिक श्रेणी इलेक्‍ट्रानिक्‍स के क्षेत्र में सशक्‍त स्‍वदेशी क्षमता का विकास करना था। ईसीआईएल का प्रारंभिक आरोह, पूर्ण स्‍वावलंबन एवं तीन प्रमुख प्रौद्योगिकी लाइनों कम्‍प्‍यूटर, नियंत्रण प्रणालियां और संचार क्षेत्र के अनेक उत्‍पादों की डिजाइन, विकास, विनिर्माण और विपणन पर था।

भारत में डिजिटल (Digital) कंप्यूटरों का निर्माण

ट्रॉम्बे डिजिटल कंप्यूटर (Trombay Digital Computer), या टीडीसी-12, का उद्घाटन विक्रम साराभाई ने 21 जनवरी, 1969 को किया था। 1970 के दशक के अंत में, जब निजी उद्योग ने भारत में डिजिटल कंप्यूटरों का निर्माण शुरू किया, तो ईसीआईएल  (ECIL) ने विभिन्न प्रकार के एप्लिकेशन-विशिष्ट हार्डवेयर (Hardware) और सॉफ्टवेयर (Software) विकसित किए।

TCS की स्थापना

1968 मे टाटा संस (Tata Sons) के द्वारा मुंबई मे TCS (Tata Consultancy Services) की स्थापना की गई ।

DOE की स्थापना

1970 मे भारत मे DOE (Department of Electronics) की स्थापना की गई । इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग (DoE), जिसे इलेक्ट्रॉनिक्स और कंप्यूटिंग में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्थापित किया गया था।  श्री MGK MENON को इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग (DoE) के पहले सचिव के रूप में नामित किया गया था


भारत का पहला सॉफ्टवेयर निर्यात क्षेत्र

पहला सॉफ्टवेयर निर्यात क्षेत्र, SEEPZ(Santacruz Electronics Export Processing Zone) जिसे आधुनिक भारत मे आईटी पार्क का अग्रदूत कह सकते हैं-1973 में मुंबई में स्थापित किया गया था।

CMC की स्थापना

1975 मे CMC (Computer Management Corporation Private Limited)की स्थापना की गई । सीएमसी लिमिटेड भारत सरकार के स्वामित्व वाली एक सूचना प्रौद्योगिकी सेवाएं, परामर्श और सॉफ्टवेयर कंपनी थी जिसका मुख्यालय नई दिल्ली, भारत में था। 2001 में, सीएमसी को भारत सरकार द्वारा टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज को बेच दिया गया था।

कंप्युटर साइंस मे B.Tech प्रोग्राम का आरंभ

1978 मे IIT (Indian Institute of Technology) /Kanpur ने कंप्युटर साइंस मे B.Tech प्रोग्राम का आरंभ हुआ ।

MCA और Tally की शुरुआत 

1980 MCA (Master of Computer Application) और Tally accounting सॉफ्टवेयर कंपनी की शुरुआत हुई ।

इंफ़ोसिस की स्थापना

1981 मे इंफ़ोसिस की स्थापना की गई और NIIT (National Institute of Information Technology) ने प्राइवेट कंप्युटर ट्रैनिंग स्कूल की शुरुआत करी।

चुनावों मे इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का इस्तेमाल

1982 मे पहली बार राज्यों के चुनावों मे इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का इस्तेमाल शुरू हुआ जो की माइक्रोप्रोसेसर (Microprocessor) पर आधारित थी ।

कंप्यूटरीकरण विरोधी वर्ष

ट्रेड यूनियनों ने 1984 को "कंप्यूटरीकरण विरोधी वर्ष" के रूप में मनाया। श्रमिक संघ कंप्यूटरीकरण का इस आधार पर विरोध कर रहे थे कि प्रौद्योगिकी नौकरियों को विस्थापित कर देगी

दूरसंचार विभाग

भारतीय द्वारा सन 1985 मे इलेक्ट्रॉनिक टेलीफोन एक्सचेंजों को डिजाइन करने के लिए सीडीओटी (CDoT) की स्थापना की गई ।

1985 मे दूरसंचार विभाग (DoT) की स्थापना की गई ।

1986 मे वीएसएनएल (विदेश संचार निगम लिमिटेड) की स्थापना विदेशी संचार के लिए की गई । भारत में इंटरनेट की शुरुआत 1986 में हुई थी और यह केवल शैक्षिक और अनुसंधान समुदाय के लिए उपलब्ध था। इंटरनेट तक आम जनता की पहुंच 15 अगस्त 1995 को शुरू हुई

भारत में विकसित पहला Digital कंप्यूटर

सिद्धार्थ (Siddharth) भारत में विकसित पहला Digital कंप्यूटर था। इसका निर्माण इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा किया गया था। इसे 16 अगस्त 1986 को बैंगलोर के मुख्य डाकघर में स्थापित किया गया था।

NASSCOM की स्थापना 

1988 मे नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विस कंपनीज (National Association of Software and Services Companies) स्थापित की गई ।

सी-डैक की स्थापना 

सी-डैक(Centre for Development of Advanced Computing) की स्थापना वर्ष 1988 में अमेरिका द्वारा सुपर कंप्यूटर निर्यात करने से इन्कार करने के फलस्वरूप सुपर कंप्यूटर के निर्माण हेतु की गई। तब से लेकर आज तक सी-डैक ने 1988 में PARAM (परम्) SUPER COMPUTER के निर्माण के बाद इसकी कई पीढ़ियों का निर्माण किया। प्रगत संगणन विकास केंद्र (सी-डैक) इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की एक प्रधान अनुसंधान एवं विकास संस्था है, जो सूचना प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रॉनिक्स तथा संबद्ध क्षेत्रों में अनुसंधान कार्य करती है। सी-डैक के विभिन्न क्षेत्रों का विकास अलग-अलग समयों में हुआ है, जिनमें से कई क्षेत्र, तत्कालीन माँग के परिणामस्वरूप उभर कर सामने आए हैं।

सी-डैक (C-DAC) आज देश में आईसीटी व ई (सूचना, संचार प्रौद्योगिकी एवं इलेक्ट्रॉनिकी) में एक प्रमुख अनुसंधान व विकास संस्थान के रूप में उभरा है। भारत में, सी-डैक (उन्नत कंप्यूटिंग के विकास के लिए केंद्र) नाम सुपर कंप्यूटर का पर्याय बन गया है, एक शब्द जो किसी भी कंप्यूटिंग वातावरण को दर्शाता है जो विभिन्न क्षेत्रों में शोधकर्ताओं की मदद करने के लिए उन्नत उपकरणों, उच्च कम्प्यूटेशनल गति और दक्षता का उपयोग करता है जैसे कि वैज्ञानिक आर एंड डी, मौसम की भविष्यवाणी, मिसाइल सिमुलेशन, अंतरिक्ष विज्ञान, दवा अनुसंधान और बहुत कुछ।

बहुराष्ट्रीय कंपनियां (MNC) का आगमन 

1990 मे सॉफ्टवेयर विकास के लिए बहुराष्ट्रीय कंपनियां (MNC) का भारत में आगमन ।

भारत का पहला सुपर कंप्युटर 

1991 मे भारत को पहला स्वदेशी सुपर कंप्युटर प्राप्त हुआ। जिसका श्रेय श्री विजय भाटकर को जाता है । भाटकर जी को सुपरकंप्यूटिंग में भारत की राष्ट्रीय पहल के वास्तुकार के रूप में जाना जाता है जहां उन्होंने परम सुपर कंप्यूटर के विकास का नेतृत्व किया। उन्होंने 1991 में पहला भारतीय सुपर कंप्यूटर, परम 8000 विकसित किया । PARAM का फुल फॉर्म पैरेलल मशीन है । 
निजी कंपनियों को मोबाइल संचार सुविधा 

1994 मे दूरसंचार में सरकारी एकाधिकार समाप्त  की गई और निजी कंपनियों को मोबाइल संचार सेवाएं शुरू करने की अनुमति मिली ।

पहली व्यावसायिक इंटरनेट

1995 मे पहली व्यावसायिक इंटरनेट सेवा वीएसएनएल (VSNL) द्वारा शुरू की गई। इसी समय भारत मे  मोबाईल सेवा की शुरुआत भी हुई । अगस्त 1995 में, पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री, ज्योति बसु ने तत्कालीन केंद्रीय दूरसंचार मंत्री सुखराम को भारत में पहला मोबाइल फोन कॉल किया।

भारत और Y2K (Year 2000) समस्या 

1996 मे NASSCOM ने Y2K समस्या को हल करने के लिए विशेष रुचि समूह (SIG) की स्थापना की गई ।भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनियों को Y2K सॉल्वर के रूप में विज्ञापित किया गया। जिसका लाभ भी उन्हे खूब मिल और भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनी मे ग्रोथ का स्तर बढ़ा । 

ई-कॉमर्स पोर्टल की शुरुआत 

1996 मे ही Rediff.com की स्थापना - भारत में ई-कॉमर्स पोर्टल के रूप मे हुई । 

इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग की शुरुआत 

1996 में, भारतीय औद्योगिक ऋण और निवेश निगम (ICICI) ने अपनी शाखाओं में इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग का उपयोग करके भारत में ऑनलाइन बैंकिंग सेवाओं की शुरुआत की। बाद में 1999 में, HDFC, IndusInd और Citi जैसे बैंकों ने ऑनलाइन बैंकिंग सुविधाएं शुरू कीं।

आई टी इंडियाज टुमॉरो

1998 मे तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी "आईटी इंडियाज टुमॉरो" की घोषणा की।


ई-कॉमर्स की सुविधा के लिए संसद द्वारा पारित आईटी अधिनियम 2000 लागू हुआ ।

सिम्प्यूटर का आविष्कार 

वर्ष 2001 मे सिम्प्यूटर, एक हाथ से पकड़े जाने वाला बहुभाषी कंप्यूटर है, जिसे बैंगलोर में IISc और Encore Software Ltd. इंजीनियरों के एक समूह द्वारा डिज़ाइन किया गया था । 

भारतीय रेल और इंटरनेट 

वर्ष 2002 मे भारतीय रेलवे में टिकटों की इंटरनेट आधारित बुकिंग की शुरुआत हुई । 

भारत की ब्रॉडबैंड नीति 

वर्ष 2004 भारत सरकार ने ब्रॉडबैंड नीति की घोषणा की; घर के लिए फाइबर, डीएसएल, केबल टू होम आदि।

एंड्रॉइड फोन 

जुलाई 2009 में एचटीसी मैजिक (HTC Magic) के लॉन्च के साथ भारत को एंड्रॉइड फोन मिला। 

आधार बायोमेट्रिक आईडी सिस्टम

भारत सरकार के द्वारा वर्ष 2009 मे आधार  जो कि दुनिया का सबसे बड़ा बायोमेट्रिक आईडी सिस्टम है की शुरुआत की गई । यह डेटा भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) द्वारा एकत्र किया जाता है, जो भारत सरकार द्वारा जनवरी 2009 में स्थापित एक वैधानिक प्राधिकरण है, जो इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में  आता है।

मोबाइल भुगतान सिस्टम (Mobile Payment System)

पेटीएम एक भारतीय मोबाइल भुगतान और वित्तीय सेवा कंपनी है। इसकी स्थापना 2010 में विजय शेखर शर्मा ने की थी। इसने भारत मे डिजिटल पेमेंट के स्वरूप को सशक्त किया । 

डिजिटल इंडिया की शुरुआत 

डिजिटल इंडिया भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदलने की दृष्टि से भारत सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है। यह कार्यक्रम 1 जुलाई 2015 को माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया था।

यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) की शुरुआत 

यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) को भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) National Payments Corporation of India द्वारा विकसित किया गया था जिसे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और भारतीय बैंक संघ (आईबीए) द्वारा 11 अप्रैल 2016 को स्थापित किया गया     


कंप्युटर आज हमारे जीवन के हर पहलू को प्रभावित करता है,आज यह जीवन का अभिन्न अंग  बन गया है । ऐसा एक भी क्षेत्र नहीं है जो कंप्युटर से प्रभावित न हो।अब इस डिजिटल दौर मे जहां सभी कुछ अनलाइन होता जा रहा है, कंप्युटर एक अहम भूमिका निभा रहा है। देश की तरक्की मे जहां इसका योगदान महत्वपूर्ण है, वही नागरिकों को इसको सीखने और समझने की आवश्यकता है । पिछले दो सालों मे करोना महामारी मे इसने अपने उपयोग और जरूरत का परिचय भलीभाँति दिया है। जहां स्कूल से दूर होकर भी बच्चों ने अनलाइन क्लास ली, वही लोगों ने विडिओ कॉल के जरिए अपनों से बातचीत की। ऑफिस से अनुपस्थिति को अनलाइन वर्किंग की सुविधा से दूर किया और विश्व की अर्थव्यवस्था को डूबने से बचाया । 

भारत आज विश्व पटल पर आईटी सेक्टर मे धूम मचा रहा है । भारत के इस प्रयास के पीछे कई  लोगों का हाथ है । 

  • श्री समेन्द्र कुमार मित्रा और सौमयेन्द्र मोहन बोस के अथक प्रयासों के फलस्वरूप भारत को अपना पहला स्वदेशी ऐनलॉग कंप्युटर प्राप्त हुआ। 
  • श्री रंगास्वामी नरसिम्हन एक भारतीय कंप्यूटर और संज्ञानात्मक वैज्ञानिक थेजिन्हें भारत में कंप्यूटर विज्ञान अनुसंधान का जनक माना जाता है। 
  • डॉ. शिवसुब्रमण्यम श्रीकांतन वह व्यक्ति हैं जिन्होंने भारत को अपना पहला व्यावसायिक डिजिटल कंप्यूटर दिया। 
  • डॉक्टर होमी भाभा और दूसरा नाम प्रोफेसर पी० सी० महालनोबिस जिन्होंने कंप्युटर की आवश्यकता को समझा और उसको भारत मे विकसित किया।
  • श्री विजय पी० भाटकर को सुपरकंप्यूटिंग में भारत की राष्ट्रीय पहल के वास्तुकार के रूप में जाना जाता है। 
  • श्री राजीव गांधी ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी और संबद्ध उद्योगों के लिए सरकारी समर्थन बढ़ाया, और प्रौद्योगिकी-आधारित उद्योगों, विशेष रूप से कंप्यूटर, एयरलाइंस, रक्षा और दूरसंचार पर आयात कोटा, करों और शुल्कों को कम किया।
  • श्री एम० जी० के०  मेनन, भारत के एक भौतिक विज्ञानी और नीति निर्माता थे। चार दशकों में भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास में उनकी प्रमुख भूमिका थी।
  • भारतीय प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपाई "आईटी इंडियाज टुमॉरो" की घोषणा की।
  • श्री सैम पित्रोदा ने सामाजिक परिवर्तन की कुंजी के रूप में प्रौद्योगिकी तक पहुंच पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत के विकास दर्शन और नीतियों में क्रांति लाने में मदद की।
  • श्री फकीर चंद कोहली को सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री का जनक कहा जाता है। वह भारत में कम्प्यूटरीकरण की अवधारणा को लोकप्रिय बनाने और सॉफ्टवेयर सिस्टम विकास विशेषज्ञता के निर्यात का नेतृत्व करने के लिए जिम्मेदार थे। वह टीसीएस टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के संस्थापक और पहले सीईओ थे
  • डिजिटल इंडिया कार्यक्रम माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया । 

75वें  स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं । 

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